हिंदुस्तान से पाकिस्तान तक
dilli से डेरा गाजी खान तक
न सुना ऐसा
न देखा ऐसा
पाया तुझे जैसा
न cleopatra,
न वेनिस
न ताज,
न मोर,
तेरे जैसा नहीं है कुछ और
हिमालय की घाटियों में
कश्मीर की वादियों में
चाँद की चाँदनी में
sheeraaz की रोशनी में
जैसे तेरा ही हुस्न
बिखरा, समाया है
इस जमीं का जन्नत
बनकर तू आया है
उपरवाले ने भी क्या खूब
तुझे बनाया है
बादामी चेहरा
मरिआना से भी गहरी आँखें
अमावास से भी काली जुल्फें
अदा मासूमियत से भरा
जैसे न हो तुझ में कुछ भी बाकी
कहता है ये शायर
पूरी कायनात में कोई नहीं
जो हो तुझ सा
और कोई नहीं
जो हो तेरा दीवान
मेरे से बड़ा, मुझ सा
अमित सागर
dilli से डेरा गाजी खान तक
न सुना ऐसा
न देखा ऐसा
पाया तुझे जैसा
न cleopatra,
न वेनिस
न ताज,
न मोर,
तेरे जैसा नहीं है कुछ और
हिमालय की घाटियों में
कश्मीर की वादियों में
चाँद की चाँदनी में
sheeraaz की रोशनी में
जैसे तेरा ही हुस्न
बिखरा, समाया है
इस जमीं का जन्नत
बनकर तू आया है
उपरवाले ने भी क्या खूब
तुझे बनाया है
बादामी चेहरा
मरिआना से भी गहरी आँखें
अमावास से भी काली जुल्फें
अदा मासूमियत से भरा
जैसे न हो तुझ में कुछ भी बाकी
कहता है ये शायर
पूरी कायनात में कोई नहीं
जो हो तुझ सा
और कोई नहीं
जो हो तेरा दीवान
मेरे से बड़ा, मुझ सा
अमित सागर
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