तुम्हारे लिए मैंने
क्या-क्या नहीं किया
एक-एक पल बस
तुम्हें देख कर जीया
तुमने मेरा प्यार कबूल
नहीं किया
इस दर्द में मैं
तदपा
फिर भी याद
तुम्हीं को किया
कोशिश पे कोशिश
दर कोशिश
मुकद्दर ने हमारा
मजाक उड़ाया
इस पर भी उपरवाले को
हम पे तरस न आया
तुम भी क्या कम थी
तानों पे ताने
उस पर भी हमारा
दिल जलाने में
तुम्हें मज़ा आया
हमें खून के आंसू रुलाया
इश्क कि नाकामयाबी
के सदमे ने हमें
कभी कुछ करने नहीं दिया
फिर भी इस दर्द
के नाम,
तेरे नाम
अपनी पूरी जिंदगी
को किया
--अमित सागर
For those who love someone and want to express their love to the world.
Wednesday, December 12, 2007
Saturday, December 8, 2007
वो
देखता हूँ जब कभी उसे
पाता हूँ एक
प्रेरणादायी श्रोत के रुप में
चट्टान सी दृढ़ता
कर्त्तव्यनिष्ठा भास्कर सी
रश्मियों सी चंचलता
जल सी द्रवता
धैर्य अवनि सा
समय सी निरंतरता
प्रेम भावना, सामंजस्य, दृढ़ता एवं
सौंदर्य की
अकूत सम्पदा लिए हुए
वो चली आ रही है
या कहूं
कि
जग को चला रही है
कोई दूसरा नहीं है
उसके जैसा
क्यूंकि
वो तो वो है
देखो वो चली आ रही है
लगता है मेरी तरफ ही आ रही है
चौधरी सुखवीर सिंह "भास्कर"
पाता हूँ एक
प्रेरणादायी श्रोत के रुप में
चट्टान सी दृढ़ता
कर्त्तव्यनिष्ठा भास्कर सी
रश्मियों सी चंचलता
जल सी द्रवता
धैर्य अवनि सा
समय सी निरंतरता
प्रेम भावना, सामंजस्य, दृढ़ता एवं
सौंदर्य की
अकूत सम्पदा लिए हुए
वो चली आ रही है
या कहूं
कि
जग को चला रही है
कोई दूसरा नहीं है
उसके जैसा
क्यूंकि
वो तो वो है
देखो वो चली आ रही है
लगता है मेरी तरफ ही आ रही है
चौधरी सुखवीर सिंह "भास्कर"
वादा
चाहे सारे वादे
जो मैंने अब तक किये हैं
झूठे क्यों न हो जाएँ
पर ये वादा न झुठलाउंगा
कि तुमको मैं एक दिन पाऊंगा
वचन लेता हूँ मैं आज अपने आप से
कि एक दिन मैं तुमको पाउँगा
जो सोचते हैं लोग
कि मैं न कर पाउँगा
वो मैं कर के दिखलाउंगा
तुमने कभी मुझे अपने दिल में
आने नहीं दिया
प्यार का फूल खिलाने नहीं दिया
पर एक दिन
तुम्हारे दिल के एक कोने में
अपनी बंजर ज़मीं पर
लाल गुलाब खिलाऊंगा मैं
तुम देखोगी, ये दुनिया देखेगी
कि मैं भी क्या चीज़ हूँ
jo हो नहीं सकता मेरा
बनता हूँ कैसे दिल उसका
जां उसकी
जो मैंने अब तक किये हैं
झूठे क्यों न हो जाएँ
पर ये वादा न झुठलाउंगा
कि तुमको मैं एक दिन पाऊंगा
वचन लेता हूँ मैं आज अपने आप से
कि एक दिन मैं तुमको पाउँगा
जो सोचते हैं लोग
कि मैं न कर पाउँगा
वो मैं कर के दिखलाउंगा
तुमने कभी मुझे अपने दिल में
आने नहीं दिया
प्यार का फूल खिलाने नहीं दिया
पर एक दिन
तुम्हारे दिल के एक कोने में
अपनी बंजर ज़मीं पर
लाल गुलाब खिलाऊंगा मैं
तुम देखोगी, ये दुनिया देखेगी
कि मैं भी क्या चीज़ हूँ
jo हो नहीं सकता मेरा
बनता हूँ कैसे दिल उसका
जां उसकी
Friday, December 7, 2007
मरा होता है
क्या तुम ये जानती हो?
जब कोई किसी को
चाहता है
और वो उसे न मिलता है
तो कितनी पीड़ा होती है?
बस पीड़ा ही पीड़ा होती है
जब कोई किसी कि
अराधना करता है
उसकी साधना करता है
और उसकी साधना निष्फल हो जाती है
तो क्या होता है ?
वो अश्रु-पूर्ण भाव विकल हो जाता है
अपने ही होम में जल जाता है
अस्वीकार्य हो जाना
प्रेम न मिल पाना
उसके लिए तो कुछ नहीं
जिसे उसकी चाहत
मिल जाती है
पर जिसे न मिलती है
उसका क्या होता है
जिंदा हो के भी
वो मरा होता है
--अमित सागर
जब कोई किसी को
चाहता है
और वो उसे न मिलता है
तो कितनी पीड़ा होती है?
बस पीड़ा ही पीड़ा होती है
जब कोई किसी कि
अराधना करता है
उसकी साधना करता है
और उसकी साधना निष्फल हो जाती है
तो क्या होता है ?
वो अश्रु-पूर्ण भाव विकल हो जाता है
अपने ही होम में जल जाता है
अस्वीकार्य हो जाना
प्रेम न मिल पाना
उसके लिए तो कुछ नहीं
जिसे उसकी चाहत
मिल जाती है
पर जिसे न मिलती है
उसका क्या होता है
जिंदा हो के भी
वो मरा होता है
--अमित सागर
मुझसे अपने आप को नहीं
क्या तुम कभी
सुन सकती हो
मेरे दिल कि आवाज़ को
नहीं न
मेरा दिल चीखता है
चिल्लाता है
चित्कारता है
पर तुम क्यों सुनोगी
काश तुम्हारा दिल
कभी मेरे लिए धड़क उठे
और ये कह उठे
"हाँ मैं तुमसे प्यार करती हूँ
हाँ,अमित तुमसे ज्यादा
मुझे कोई चाह नहीं सकता"
पर तुम क्यों सुनोगी
तुम्हें सुनने कि ज़रूरत क्या है
इस दुखते दिल की टीस
क्या ज़रूरत है तुम्हें
इस रोते दिल की आंसुओं
को पोंछ्नें की
तुम टोह चाहती ही हो
मुझे पल-पल में सौ मौतें देना
अपने आपको मुझसे
छीन लेना
पर याद रखना प्रिया
तुम मेरी साँसे तो
छीन सकती हो
पर मुझसे अपने आपको नहीं
मेरी रूह को मिटा सकती हो
पर मुझसे अपने आप को नहीं
--अमित सागर
सुन सकती हो
मेरे दिल कि आवाज़ को
नहीं न
मेरा दिल चीखता है
चिल्लाता है
चित्कारता है
पर तुम क्यों सुनोगी
काश तुम्हारा दिल
कभी मेरे लिए धड़क उठे
और ये कह उठे
"हाँ मैं तुमसे प्यार करती हूँ
हाँ,अमित तुमसे ज्यादा
मुझे कोई चाह नहीं सकता"
पर तुम क्यों सुनोगी
तुम्हें सुनने कि ज़रूरत क्या है
इस दुखते दिल की टीस
क्या ज़रूरत है तुम्हें
इस रोते दिल की आंसुओं
को पोंछ्नें की
तुम टोह चाहती ही हो
मुझे पल-पल में सौ मौतें देना
अपने आपको मुझसे
छीन लेना
पर याद रखना प्रिया
तुम मेरी साँसे तो
छीन सकती हो
पर मुझसे अपने आपको नहीं
मेरी रूह को मिटा सकती हो
पर मुझसे अपने आप को नहीं
--अमित सागर
Sunday, November 25, 2007
Tuesday, November 6, 2007
पिता
उससे बहुत ही गहरा नाता है
वही तो हमारा सबसे बड़ा दाता है
सृजक की भूमिका वह निभाता है
पिता तो बस पिता होता है
वही हमें दुनिया दिखलाता है
ऊँगली पकड़ कर चलना सिखलाता है
अपने बच्चे को बोलना बतलाता है
पिता तो बस पिता होता है
नई पौध को पानी देता है
सूरज की तेज़ किरणों से उसे बचाता है
उसको कोई तकलीफ न हो
सो स्वयं ही सबकुछ सह जाता है
पिता तो बस पिता होता है
अपना पेट काट कर
हमें खाद खिलाता है
अच्छी से अच्छी सुविधा-सेवा करता है
निस्वार्थ भाव से हमारे लिए चिंतित रहता है
पिता तो बस पिता होता है
अपनी कृति के फल फूल जाने पर
वह चैन की एक सांस ले पाता है
सोचता है,
अब उसे क्या ग़म
बडे हो चुके होते हैं हम
अपनी आराधना पर मंद-मंद मुस्काता है
पिता तो बस पिता होता है
लेकिन होता है वही
जो हमेशा होता है
नए के आने पर पुराना उपेक्षित हो जाता है
भूल जाती है उसे नव पीड़ी
और भुला देती है उसके बलिदानों को
उनको मालूम न होता है कि
पिता तो बस पिता होता है
हमें अपना समझ कर
क्षमा पे क्षमा किये जाता है वो
और एक दिन बिना कुछ कहे -सुने
हमें अकेला छोड़ चला जाता है वो
तब हमें याद आता है कि
पिता तो बस पिता होता है
एक दिन हम भी पिता बनते हैं
जो उसने हमारे लिए किया था
वही हम नए के लिए करते हैं
फिर हमारे साथ भी वही होता है
क्योंकि,
पिता तो बस पिता होता है
--अमित सागर
उससे बहुत ही गहरा नाता है
वही तो हमारा सबसे बड़ा दाता है
सृजक की भूमिका वह निभाता है
पिता तो बस पिता होता है
वही हमें दुनिया दिखलाता है
ऊँगली पकड़ कर चलना सिखलाता है
अपने बच्चे को बोलना बतलाता है
पिता तो बस पिता होता है
नई पौध को पानी देता है
सूरज की तेज़ किरणों से उसे बचाता है
उसको कोई तकलीफ न हो
सो स्वयं ही सबकुछ सह जाता है
पिता तो बस पिता होता है
अपना पेट काट कर
हमें खाद खिलाता है
अच्छी से अच्छी सुविधा-सेवा करता है
निस्वार्थ भाव से हमारे लिए चिंतित रहता है
पिता तो बस पिता होता है
अपनी कृति के फल फूल जाने पर
वह चैन की एक सांस ले पाता है
सोचता है,
अब उसे क्या ग़म
बडे हो चुके होते हैं हम
अपनी आराधना पर मंद-मंद मुस्काता है
पिता तो बस पिता होता है
लेकिन होता है वही
जो हमेशा होता है
नए के आने पर पुराना उपेक्षित हो जाता है
भूल जाती है उसे नव पीड़ी
और भुला देती है उसके बलिदानों को
उनको मालूम न होता है कि
पिता तो बस पिता होता है
हमें अपना समझ कर
क्षमा पे क्षमा किये जाता है वो
और एक दिन बिना कुछ कहे -सुने
हमें अकेला छोड़ चला जाता है वो
तब हमें याद आता है कि
पिता तो बस पिता होता है
एक दिन हम भी पिता बनते हैं
जो उसने हमारे लिए किया था
वही हम नए के लिए करते हैं
फिर हमारे साथ भी वही होता है
क्योंकि,
पिता तो बस पिता होता है
--अमित सागर
Monday, November 5, 2007
एक शेर
फलक देता है जिनको ऐश
उनको गम भी होते हैं
जहाँ बजते हैं नक्कारे
वहाँ मातम भी होते हैं
--अज्ञात
उनको गम भी होते हैं
जहाँ बजते हैं नक्कारे
वहाँ मातम भी होते हैं
--अज्ञात
Sunday, November 4, 2007
लक्ष्य
जीवन का लक्ष्य एक है मेरा
कुछ हासिल करना है
बुलंदियों को छूना है
बस जो चाहता हूँ
वो कर दिखाना है
मंजिल तो दिख रही
पर दूर है
रास्ते काटों से भरपूर हैं
फिर भी लक्ष्य पाना तो है ही
एक दिन शिखर पर जाना
तो है ही
सिर्फ एक प्रयास कि जरूरत है
वह प्रयास हो मेहनत का
लक्ष्य पाने कि सच्ची लगन का
हर बाधा पार करने के जूनून का
तो फिर क्या दुर्जय रह जाएगा
सबकुछ,
ये पृथ्वी, ये आकाश
मेरा हो जाएगा
--अमित सागर
जीवन का लक्ष्य एक है मेरा
कुछ हासिल करना है
बुलंदियों को छूना है
बस जो चाहता हूँ
वो कर दिखाना है
मंजिल तो दिख रही
पर दूर है
रास्ते काटों से भरपूर हैं
फिर भी लक्ष्य पाना तो है ही
एक दिन शिखर पर जाना
तो है ही
सिर्फ एक प्रयास कि जरूरत है
वह प्रयास हो मेहनत का
लक्ष्य पाने कि सच्ची लगन का
हर बाधा पार करने के जूनून का
तो फिर क्या दुर्जय रह जाएगा
सबकुछ,
ये पृथ्वी, ये आकाश
मेरा हो जाएगा
--अमित सागर
Friday, November 2, 2007
एक शेर
किश्ती हदे तूफां से निकल सकती ,
बात बिगड़ी हूई फिर से बन सकती है
हौसला रखें अपने इरादे को ना बदलें ,
तक़दीर किसी भी रोज़
बदल सकती है
--अनजान
बात बिगड़ी हूई फिर से बन सकती है
हौसला रखें अपने इरादे को ना बदलें ,
तक़दीर किसी भी रोज़
बदल सकती है
--अनजान
I can
I can change everything
from present to future
from desire to destiny
from own's outlook to the world
with my own ability,skill and talent
with my knowledge and wisdom
with my own power and labour
--Amit sagar
from present to future
from desire to destiny
from own's outlook to the world
with my own ability,skill and talent
with my knowledge and wisdom
with my own power and labour
--Amit sagar
Thursday, November 1, 2007
मंज़िल
जिंदगी कि राह पर चल पड़े हम अकेले
न लिए खुशियाँ न गम
बस थे यादों के मेले
चलते-चलते उस राह पर
थके हमारे कदम
हम रुके फिर उठे और कहा
खुद से पूछा -
"क्या इतना ही है दम ?"
नज़रें उठा के देखा तो
मंज़िल थी बहुत दूर
राह के कंकरियों ने
किया हमारा हौसला चूर
अभी तो आगे थे
चट्टान और तूफान
बस हवा के झरोखे ने किया
हमें हमारे हमारे पथ से अनजान
हमने मन को समझाया
कर याद बीते पलों का
हमने मन को बहलाया
और कहा
जिस तरह इतनी दूर आयें हैं
आगे भी चले जायेंगे
अगर रुके और पड़े कमज़ोर
तो दुसरे पथिक आगे निकल जायेंगे
जिंदगी कि राह
आसान नहीं होती
पर हो हौसला साथ
तो मंज़िल दूर नहीं होती
जो लोग हिम्मत और
विवेक कि कुंजी लिए होते हैं
वही यथार्थ में मंज़िल रुपी
दरवाज़े तक पहुँच पाते हैं
डरपोक और अविवेकी तो
खाली हाथ लॉट जाते हैं
--प्रियंका
जिंदगी कि राह पर चल पड़े हम अकेले
न लिए खुशियाँ न गम
बस थे यादों के मेले
चलते-चलते उस राह पर
थके हमारे कदम
हम रुके फिर उठे और कहा
खुद से पूछा -
"क्या इतना ही है दम ?"
नज़रें उठा के देखा तो
मंज़िल थी बहुत दूर
राह के कंकरियों ने
किया हमारा हौसला चूर
अभी तो आगे थे
चट्टान और तूफान
बस हवा के झरोखे ने किया
हमें हमारे हमारे पथ से अनजान
हमने मन को समझाया
कर याद बीते पलों का
हमने मन को बहलाया
और कहा
जिस तरह इतनी दूर आयें हैं
आगे भी चले जायेंगे
अगर रुके और पड़े कमज़ोर
तो दुसरे पथिक आगे निकल जायेंगे
जिंदगी कि राह
आसान नहीं होती
पर हो हौसला साथ
तो मंज़िल दूर नहीं होती
जो लोग हिम्मत और
विवेक कि कुंजी लिए होते हैं
वही यथार्थ में मंज़िल रुपी
दरवाज़े तक पहुँच पाते हैं
डरपोक और अविवेकी तो
खाली हाथ लॉट जाते हैं
--प्रियंका
FRIENDS
Friend is a big term in one's life.A Friend is the most beautiful thing which God has endowed to us for our existence in the material world.In olden days when there was not degraded culture as of now, people were indeed good friends but as the world developed good friends became scarce.
But now also, you can get good friends because goodness never dies.Friendship is the only relationship which man makes after its birth.All other relations are pre determined.The sweetness which you will get in true friendship would be found nowhere.A good friend is the only hope of help in tough times.A good Friend is the only person who can do anything for you.His position in our lives is just after our parents.He is the soul of our lives and inspiration of our achievements.
So let us take the oath,the promise that we will become good friends in life and enjoy the fruits of friendship.
But now also, you can get good friends because goodness never dies.Friendship is the only relationship which man makes after its birth.All other relations are pre determined.The sweetness which you will get in true friendship would be found nowhere.A good friend is the only hope of help in tough times.A good Friend is the only person who can do anything for you.His position in our lives is just after our parents.He is the soul of our lives and inspiration of our achievements.
So let us take the oath,the promise that we will become good friends in life and enjoy the fruits of friendship.
Jagriti
Aye sota manav jaag tu
vipreet paristhitiyon se naa bhag tu,
mehnat kar aage badh
anjam se tu kabhi na dar,
jo soch- soch ghabrayega
bhavishya mein bada pachhtayega,
tere andar hai woh taaqat
hil sakta hai jis se sampurna jagat,
aatmbal kaa tu ehsaas kar
mushkilon kaa tu haas kar,
apni mutthi khol de
duniya ko tu tol de,
durgam ko dikhla de seena
batla de sabko kise kehte hain jeena.
vipreet paristhitiyon se naa bhag tu,
mehnat kar aage badh
anjam se tu kabhi na dar,
jo soch- soch ghabrayega
bhavishya mein bada pachhtayega,
tere andar hai woh taaqat
hil sakta hai jis se sampurna jagat,
aatmbal kaa tu ehsaas kar
mushkilon kaa tu haas kar,
apni mutthi khol de
duniya ko tu tol de,
durgam ko dikhla de seena
batla de sabko kise kehte hain jeena.
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