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Saturday, December 8, 2007

वो

देखता हूँ जब कभी उसे
पाता हूँ एक
प्रेरणादायी श्रोत के रुप में
चट्टान सी दृढ़ता
कर्त्तव्यनिष्ठा भास्कर सी
रश्मियों सी चंचलता
जल सी द्रवता
धैर्य अवनि सा
समय सी निरंतरता
प्रेम भावना, सामंजस्य, दृढ़ता एवं
सौंदर्य की
अकूत सम्पदा लिए हुए
वो चली आ रही है
या कहूं
कि
जग को चला रही है

कोई दूसरा नहीं है
उसके जैसा
क्यूंकि
वो तो वो है
देखो वो चली आ रही है
लगता है मेरी तरफ ही आ रही है
चौधरी सुखवीर सिंह "भास्कर"

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I am Amit Sagar living presently in New Delhi originally from Patna.