क्या तुम कभी
सुन सकती हो
मेरे दिल कि आवाज़ को
नहीं न
मेरा दिल चीखता है
चिल्लाता है
चित्कारता है
पर तुम क्यों सुनोगी
काश तुम्हारा दिल
कभी मेरे लिए धड़क उठे
और ये कह उठे
"हाँ मैं तुमसे प्यार करती हूँ
हाँ,अमित तुमसे ज्यादा
मुझे कोई चाह नहीं सकता"
पर तुम क्यों सुनोगी
तुम्हें सुनने कि ज़रूरत क्या है
इस दुखते दिल की टीस
क्या ज़रूरत है तुम्हें
इस रोते दिल की आंसुओं
को पोंछ्नें की
तुम टोह चाहती ही हो
मुझे पल-पल में सौ मौतें देना
अपने आपको मुझसे
छीन लेना
पर याद रखना प्रिया
तुम मेरी साँसे तो
छीन सकती हो
पर मुझसे अपने आपको नहीं
मेरी रूह को मिटा सकती हो
पर मुझसे अपने आप को नहीं
--अमित सागर
For those who love someone and want to express their love to the world.
Friday, December 7, 2007
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- Amit Sagar
- New Delhi, New Delhi, India
- I am Amit Sagar living presently in New Delhi originally from Patna.
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