सौ बार जीता सौ बार मरता हूँ
कैसे ऐतबार दिलाऊं तुमको
कि कितना प्यार है
तुमसे हमको
रोता हूँ इसलिए
कि तुम समझ न सकीं
मुझको मेरे प्यार को
जीता हूँ इसलिए कि
कभी न कभी पा सकूँ
तुमको, तुम्हारे प्यार को
जुदा हूँ तुम से मैं आज
और ये जुदाई
दर्द देती है इतना के
जितना मैं सह न सकूँ
फिर भी प्यार तुमसे मैं करता हूँ
एक एक पल में
सौ बार जीता हूँ, मरता हूँ
----अमित सागर
For those who love someone and want to express their love to the world.
Saturday, February 21, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
About Me
- Amit Sagar
- New Delhi, New Delhi, India
- I am Amit Sagar living presently in New Delhi originally from Patna.
Blog Archive
-
►
2012
(1)
- ► 01/08 - 01/15 (1)
-
▼
2009
(10)
- ► 10/04 - 10/11 (1)
- ► 09/27 - 10/04 (2)
- ► 09/06 - 09/13 (1)
- ► 07/12 - 07/19 (3)
-
►
2008
(2)
- ► 02/10 - 02/17 (2)
-
►
2007
(15)
- ► 12/09 - 12/16 (1)
- ► 12/02 - 12/09 (4)
- ► 11/25 - 12/02 (1)
- ► 11/04 - 11/11 (3)
- ► 10/28 - 11/04 (6)
No comments:
Post a Comment