जिंदा किस लिए हूँ ?
मैं जिंदा किस लिए हूँ ?
बस तेरे लिए
बस तुझे पाने के लिए
और जो तुझे न पा सका
तो जी के क्या होगा
मरना ही शायद तब भला होगा
क्यूंकि सह न पाउँगा फिर तेरी जुदाई मैं
तड़प के रह जाऊँगा तेरी तन्हाई में
बिरहा की अग्नि में जल जाऊँगा
मैं तो बस मर जाऊँगा
ए मेरे खुदा -
जीते जी मत मारना मुझे
अच्छा होगा मेरी प्रिया
दे देना मुझे
साँसे मेरी लौटा देना मुझे
इश्क की दुहाई है तुझे
वरना कोई न फिर
तुझे से प्यार की भीख मांगेगा
बस प्यार की तड़प में अपनी जान देगा
मत करना नाइंसाफी मेरे साथ
रख देना मेरे सर पे तू अपना हाथ
दे देना उसे मुझे तू
दिल मेरा देगा तुझे दुआएं लाख
जलती रहेंगी तब तक
मेरे दिल में उम्मीदें
जब तक दे नहीं देता
उसे मुझे तू
-----अमित सागर
For those who love someone and want to express their love to the world.
Saturday, February 21, 2009
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- New Delhi, New Delhi, India
- I am Amit Sagar living presently in New Delhi originally from Patna.
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